प्रधानमंत्री का ‘मेक इन इंडिया’ विजन — “Chips to Ship”: आत्मनिर्भर भारत की ओर मजबूत कदम

Chips to Ship: 25 सितंबर 2025 को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के 11 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत करते हुए ‘चिप्स टू शिप्स’ विजन को रेखांकित किया। उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025 के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा, “सरकार मेक इन इंडिया पर जोर दे रही है और चिप्स से शिप्स तक सब कुछ भारत में बनाने का लक्ष्य रखा है।

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” वैश्विक अस्थिरताओं के बीच यह विजन भारत को स्वावलंबी बनाने का मंत्र है, जहां चिप्स (सेमीकंडक्टर) से लेकर शिप्स (जहाज निर्माण) तक हर उत्पाद भारत में ही बने। पीएम मोदी ने जोर दिया कि “दूसरों पर निर्भरता से ज्यादा असहाय कुछ नहीं हो सकता।” यह विजन न केवल आर्थिक विकास का आधार है, बल्कि 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार करने का मार्ग भी।

‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत 25 सितंबर 2014 को हुई थी, और 11 वर्षों में यह भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में अग्रसर है। आइए, ‘चिप्स टू शिप्स’ विजन के प्रमुख आयामों पर विस्तार से चर्चा करें।

‘मेक इन इंडिया’ का सफर: 11 वर्षों की उपलब्धियां और ‘चिप्स टू शिप्स’ का महत्व

‘मेक इन इंडिया’ पहल ने भारत को उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा था। 11 वर्षों में मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में योगदान 16% से बढ़कर 18% हो गया, और FDI में 150% की वृद्धि हुई। पीएम मोदी ने 24 सितंबर को ग्रेटर नोएडा में आयोजित ट्रेड शो में कहा, “वैश्विक डिसरप्शन के समय भारत आकर्षक विकास की कहानी लिख रहा है। हम अवसरों की तलाश करते हैं।” ‘चिप्स टू शिप्स’ विजन इसी का विस्तार है, जो हाई-टेक (चिप्स) से लेकर हेवी इंडस्ट्री (शिप्स) तक स्वदेशी उत्पादन पर जोर देता है।

यह विजन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है, जहां विदेशी निर्भरता को कम कर राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए। पीएम ने 20 सितंबर को भवनगर (गुजरात) में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम में कहा, “2047 तक विकसित भारत के लिए स्वावलंबन अनिवार्य है। चिप्स हों या शिप्स, सब मेक इन इंडिया होने चाहिए।” वैश्विक व्यापार युद्धों और सप्लाई चेन संकटों में यह विजन भारत को मजबूत बनाता है।

चिप्स सेक्टर: सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में भारत की छलांग

‘चिप्स’ का अर्थ सेमीकंडक्टर चिप्स से है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल और डिफेंस का आधार हैं। पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश को सेमीकंडक्टर हब बनाने का ऐलान किया। सरकार की सेमीकंडक्टर मिशन योजना के तहत 2025 तक ₹76,000 करोड़ निवेश हो चुका है, जिसमें ताइवान की TSMC और अमेरिका की माइक्रॉन जैसी कंपनियां भारत में प्लांट लगा रही हैं। गुजरात और उत्तर प्रदेश में यूनिट्स स्थापित हो रही हैं, जो 50,000 नौकरियां पैदा करेंगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सेक्टर 2030 तक $100 बिलियन का हो सकता है। पीएम ने कहा, “हम चिप्स से शुरू कर हाई-टेक इंडस्ट्री को मजबूत करेंगे, जो युवाओं के लिए रोजगार का द्वार खोलेगा।” चुनौतियां: तकनीकी ट्रांसफर और स्किल डेवलपमेंट, लेकिन PLI स्कीम से प्रगति हो रही है।

शिप्स सेक्टर: जहाज निर्माण में पुनरुत्थान

‘शिप्स’ का तात्पर्य जहाज निर्माण से है, जहां भारत ऐतिहासिक रूप से अग्रणी था। पीएम मोदी ने भवनगर में कहा, “भारत कभी विश्व का सबसे बड़ा शिपबिल्डिंग हब था, लेकिन गलत नीतियों से इसका वैश्विक शेयर 40% से घटकर 5% रह गया। अब हम इसे पुनर्जीवित करेंगे।” भारत सालाना $75 बिलियन (₹6 लाख करोड़) विदेशी शिपिंग कंपनियों को देता है, जो रक्षा बजट के बराबर है।

हालिया सुधार: मानसून सत्र में 50 से अधिक कोलोनियल कानूनों में बदलाव, ‘वन नेशन, वन डॉक्यूमेंट’ और ‘वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस’ लागू। पिछले 10 वर्षों में 40+ जहाज और पनडुब्बियां भारत में बनीं, जिसमें INS विक्रांत शामिल है। 2047 तक वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत का शेयर 10% से 30% करने का लक्ष्य। कोलकाता पोर्ट में नया कंटेनर टर्मिनल और भवनगर में ₹34,200 करोड़ के प्रोजेक्ट्स इस दिशा में कदम हैं।

नीचे प्रमुख सेक्टरों की तुलना तालिका:

सेक्टरवर्तमान स्थितिलक्ष्य (2047 तक)प्रमुख पहल
चिप्स (सेमीकंडक्टर)3% वैश्विक शेयर, ₹76,000 करोड़ निवेश$100 बिलियन उद्योगPLI स्कीम, TSMC प्लांट
शिप्स (शिपबिल्डिंग)5% वैश्विक शेयर, $75 बिलियन आयात30% वैश्विक व्यापार शेयरवन नेशन वन डॉक्यूमेंट, INS विक्रांत

आत्मनिर्भर भारत का मंत्र: वैश्विक चुनौतियों में स्वावलंबन

पीएम मोदी ने गुजरात में कहा, “140 करोड़ भारतीयों का भविष्य विदेशों पर नहीं छोड़ा जा सकता। आत्मनिर्भरता ही सौ समस्याओं का एक समाधान है।” पहले सरकारों की आयात-केंद्रित नीतियों ने युवाओं को नुकसान पहुंचाया, लेकिन अब डिफेंस सेक्टर में 75% उत्पादन स्वदेशी है। फिनटेक और GeM जैसे प्लेटफॉर्म्स ने समावेशी विकास सुनिश्चित किया।

ट्रेड शो में पीएम ने उद्यमियों से अपील की, “व्यवसाय मॉडल ऐसे बनाएं जो आत्मनिर्भर भारत को मजबूत करें।” पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर अंत्योदय का संदेश दिया, जहां अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचे।

आर्थिक प्रभाव और भविष्य की योजनाएं

‘चिप्स टू शिप्स’ से 2030 तक 1 करोड़ नौकरियां पैदा होंगी, और मैन्युफैक्चरिंग $1 ट्रिलियन पहुंचेगा। चुनौतियां: स्किल गैप और निवेश आकर्षण, लेकिन जीएसटी 2.0 जैसे सुधार सहायक हैं। भविष्य में उत्तर प्रदेश को सेमीकंडक्टर हब बनाना और शिपयार्ड्स का विस्तार लक्ष्य है।

निष्कर्ष: स्वावलंबन का संकल्प, विकसित भारत का मार्ग

पीएम मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ विजन ‘चिप्स टू शिप्स’ के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत को साकार कर रहा है। वैश्विक संकटों में यह दृष्टिकोण भारत को मजबूत बनाएगा। नागरिकों से अपील: स्वदेशी उत्पाद खरीदें और इस संकल्प का हिस्सा बनें। 2047 का विकसित भारत अब सपना नहीं, वास्तविकता है। जय हिंद!

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