मेक इन इंडिया 2025: कैसे बनेगा भारत दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग सेंटर

मेक इन इंडिया 2025: मेक इन इंडिया, भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना, निवेश को बढ़ावा देना, और लाखों नौकरियाँ सृजित करना है। 25 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह पहल भारत के औद्योगिक और आर्थिक परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

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यह आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने पर केंद्रित है। 2025 में, मेक इन इंडिया अपनी स्थापना के एक दशक को चिह्नित कर रहा है, और यह लेख इस पहल के उद्देश्यों, उपलब्धियों, चुनौतियों, और नौकरी व निवेश के नए अवसरों पर प्रकाश डालता है।

मेक इन इंडिया के उद्देश्य

मेक इन इंडिया पहल के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं:

  1. विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि: विनिर्माण क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर को 12-14% तक बढ़ाना।
  2. रोजगार सृजन: 2022 तक (बाद में संशोधित कर 2025 तक) 100 मिलियन अतिरिक्त विनिर्माण नौकरियाँ सृजित करना।
  3. जीडीपी में योगदान: 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान 25% तक ले जाना।

इसके अतिरिक्त, यह पहल निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाना, आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास करना, और विदेशी पूंजी के लिए नए क्षेत्र खोलना चाहती है। मेक इन इंडिया 25 प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है, जैसे ऑटोमोबाइल, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, और नवीकरणीय ऊर्जा।

मेक इन इंडिया की प्रमुख विशेषताएँ

1. निवेश के लिए सरल नीतियाँ

मेक इन इंडिया ने निवेशकों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया है। सरकार ने कई क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाई है, जैसे रक्षा (49% से 74%), रेलवे (100%), और बीमा (26% से 49%)। ऑनलाइन आवेदन प्रणाली और लाइसेंस की वैधता को तीन वर्ष तक बढ़ाने जैसे कदमों ने व्यवसाय करने की प्रक्रिया को आसान किया है।

2. आधुनिक बुनियादी ढांचा

भारत ने डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ, और दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) जैसे औद्योगिक कॉरिडोर के माध्यम से बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। यह विनिर्माण इकाइयों को विश्वस्तरीय सुविधाएँ प्रदान करता है।

3. कौशल विकास

मेक इन इंडिया के तहत, स्किल इंडिया मिशन के साथ मिलकर लाखों युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है ताकि वे विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के लिए तैयार हो सकें। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) जैसे संगठनों ने सुधारों के प्रभाव का मूल्यांकन करने में मदद की है।

4. आत्मनिर्भर भारत के साथ एकीकरण

मेक इन इंडिया को आत्मनिर्भर भारत अभियान के साथ जोड़ा गया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है। रक्षा क्षेत्र में 26 वस्तुओं को केवल स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से खरीदने का निर्णय इसका एक उदाहरण है।

मेक इन इंडिया की उपलब्धियाँ

पिछले एक दशक में मेक इन इंडिया ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं:

1. FDI में वृद्धि

2016-17 में भारत ने 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI प्राप्त किया। विश्व बैंक के 2019 के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत ने 23 स्थानों की छलांग लगाकर 190 देशों में 63वाँ स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा, विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में भारत 32 स्थान ऊपर चढ़ा।

2. रक्षा विनिर्माण में प्रगति

मेक इन इंडिया ने रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारत और रूस के बीच नौसेना फ्रिगेट्स, KA-226T हेलीकॉप्टर, और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के लिए समझौते इसका उदाहरण हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने सुखोई Su-30MKI फाइटर जेट के 332 घटकों की तकनीक हस्तांतरण के लिए बातचीत शुरू की।

3. राज्य-स्तरीय पहल

मेक इन इंडिया के तहत, कई राज्यों ने अपनी स्थानीय पहल शुरू की हैं, जैसे “उत्कर्ष ओडिशा”, “वाइब्रेंट गुजरात”, “तमिलनाडु ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट”, और “मैग्नेटिक महाराष्ट्र”। इन पहलों ने स्थानीय निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया है।

4. विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि

2014-15 से 2019-20 के बीच विनिर्माण क्षेत्र की औसत वृद्धि दर 6.9% रही। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत की है।

5. निर्यात में वृद्धि

मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी ने भारत से झींगा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सौदे किए। ओडिशा में पॉसिडॉन एक्वाटेक ने ₹100 करोड़ की लागत से झींगा खेती और प्रसंस्करण की योजना बनाई।

मेक इन इंडिया की चुनौतियाँ

हालांकि मेक इन इंडिया ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन यह अपने कुछ लक्ष्यों को पूरा करने में असफल रही है:

  1. जीडीपी में योगदान में कमी: 2022 तक विनिर्माण क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 25% तक बढ़ाने का लक्ष्य था, लेकिन यह 2013-14 के 16.7% से घटकर 2023-24 में 15.9% हो गया।
  2. रोजगार सृजन में कमी: 100 मिलियन नौकरियों का लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ, क्योंकि स्वचालन और तकनीकी प्रगति ने श्रम-आधारित रोजगार को प्रभावित किया है।
  3. बुनियादी ढांचे की कमी: कई क्षेत्रों में अभी भी विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का अभाव है, जो निवेशकों के लिए चुनौती बना हुआ है।
  4. प्रतिस्पर्धा: वैश्विक बाजार में चीन और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
  5. नौकरशाही और नीतिगत बाधाएँ: हालांकि सुधार किए गए हैं, फिर भी कुछ क्षेत्रों में नौकरशाही और जटिल नियम निवेशकों के लिए रुकावट बनते हैं।

मेक इन इंडिया 2025: भविष्य की संभावनाएँ

2025 में, मेक इन इंडिया अपनी गति को और तेज करने की दिशा में काम कर रहा है। सरकार ने कई नए कदम उठाए हैं, जैसे:

  • प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना: मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए PLI योजनाएँ शुरू की गई हैं।
  • नई तकनीकों पर ध्यान: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: मेक इन इंडिया अब पर्यावरण-अनुकूल विनिर्माण प्रथाओं पर ध्यान दे रहा है, जैसे सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन।
  • स्थानीय खाद्य उत्पादों को बढ़ावा: ओडिशा के पिठा, कश्मीर के गुश्तबा, और गुजरात के खाखरा जैसे क्षेत्रीय खाद्य उत्पादों को वैश्विक बाजार में बढ़ावा दिया जा रहा है।

भारत के लिए मेक इन इंडिया का महत्व

मेक इन इंडिया भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। यह न केवल बेरोजगारी और गरीबी को कम करने में मदद करता है, बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत खिलाड़ी बनाता है। यह पहल युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करती है और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

मेक इन इंडिया के लिए उपयोगी टिप्स

  1. निवेशकों के लिए: भारत में निवेश करने से पहले स्थानीय नियमों और प्रोत्साहनों की जाँच करें।
  2. उद्यमियों के लिए: स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं का लाभ उठाएँ।
  3. उपभोक्ताओं के लिए: मेड इन इंडिया उत्पादों को प्राथमिकता दें ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन मिले।
  4. नीति निर्माताओं के लिए: बुनियादी ढांचे और नौकरशाही सुधारों पर और ध्यान दें।

निष्कर्ष

मेक इन इंडिया 2025 में नौकरी, निवेश, और उद्योग में नए अवसरों की बौछार ला रहा है। हालांकि यह अपने कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रही है, लेकिन FDI में वृद्धि, रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में प्रगति, और राज्य-स्तरीय पहलों ने इसकी सफलता को दर्शाया है। PLI योजनाएँ, नई तकनीकों पर ध्यान, और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे कदम मेक इन इंडिया को और मजबूत करेंगे। यह पहल न केवल भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देती है, बल्कि लाखों भारतीयों के लिए रोजगार और अवसर सृजित करती है। मेक इन इंडिया आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है, जो देश को वैश्विक मंच पर एक मजबूत पहचान देता है।

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