ऑटोमोबाइल: 25 सितंबर 2025 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसने भारतीय वाहन बाजार को नई ऊंचाई प्रदान की। भारत ने जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया है। यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रत्यक्ष परिणाम है, जहां वाहन उत्पादन, निर्यात और बुनियादी ढांचे में तेजी आई है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!गडकरी ने अंतरराष्ट्रीय वैल्यू शिखर सम्मेलन में कहा, “भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया है, और अगले पांच साल में पहले नंबर पर आने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।” यह कदम न केवल आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) प्रोत्साहन और सड़क नेटवर्क विस्तार से जुड़ा है।
भारतीय वाहन बाजार, जो 2024 में 2.3 करोड़ यूनिट्स का था, 2025 में 2.6 करोड़ तक पहुंच गया, जो वैश्विक बाजार का 5% हिस्सा बनाता है। आइए, इस बड़े कदम के प्रमुख पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।
उपलब्धि का विवरण: जापान को कैसे पछाड़ा भारत?
भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार ने 2025 की पहली छमाही में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की। सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर 2025 में वाहन बिक्री 18% बढ़कर 70 लाख यूनिट्स हो गई, जबकि जापान में 12% की गिरावट आई। यह बदलाव ईवी सेगमेंट की 40% वार्षिक वृद्धि और निर्यात में 25% उछाल से संभव हुआ। भारत अब अमेरिका (पहला) और चीन (दूसरा) के बाद तीसरा सबसे बड़ा बाजार है।
गडकरी ने कहा, “भारत के वाहन बाजार में प्रमुख स्थान हासिल करने के पीछे कचरा प्रबंधन और सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर का योगदान है।” भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क (6.3 लाख किमी हाईवे) विकसित हो चुका है, जिससे यात्रा समय 30% घटा। कचरे का उपयोग सड़क निर्माण में होने से पर्यावरण-अनुकूल विकास हुआ। वैश्विक स्तर पर भारत का बाजार मूल्य $120 बिलियन (₹10 लाख करोड़) पहुंच गया, जो 2020 के $70 बिलियन से 70% अधिक है।
वृद्धि के प्रमुख कारक: ईवी प्रोत्साहन और नीतिगत सुधार
इस उपलब्धि के पीछे बहुआयामी कारण हैं। प्रथम, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा। 2021 के संशोधन से ईवी पर रजिस्ट्रेशन और रिन्यूअल फीस माफ हो गई, जिससे 2025 में ईवी बिक्री 1.5 लाख यूनिट्स तक पहुंची। FAME-2 योजना के तहत सब्सिडी बढ़ाई गई, जो दोपहिया ईवी पर 50% तक है। टाटा, महिंद्रा और ओला जैसी कंपनियां ईवी उत्पादन में अग्रणी हैं।
दूसरा, निर्यात में उछाल। 2025 में वाहन निर्यात 50 लाख यूनिट्स का लक्ष्य, जो अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में केंद्रित है। तीसरा, इंफ्रास्ट्रक्चर। भारतमाला परियोजना से 35,000 किमी नई सड़कें बनीं, जो वाहन उपयोग बढ़ाती हैं।
नीचे प्रमुख सेगमेंट्स की 2025 वृद्धि तालिका:
वाहन सेगमेंट | 2024 बिक्री (लाख यूनिट्स) | 2025 अनुमान (लाख यूनिट्स) | वृद्धि (%) |
---|---|---|---|
दोपहिया (बाइक) | 170 | 185 | 9 |
तिपहिया (ऑटो) | 8 | 10 | 25 |
कार/एसयूवी | 42 | 48 | 14 |
ईवी (सभी) | 12 | 18 | 50 |
कुल | 232 | 261 | 12.5 |
यह डेटा SIAM (सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) से प्रेरित है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: रोजगार और पर्यावरण पर फोकस
यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। ऑटो सेक्टर जीडीपी में 7% योगदान देता है और 3.5 करोड़ रोजगार प्रदान करता है। 2025 में 50 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी, खासकर ईवी और निर्यात में। पर्यावरणीय लाभ: ईवी वृद्धि से CO2 उत्सर्जन 20% कम होगा।
सामाजिक रूप से, ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहिया बिक्री से कनेक्टिविटी बढ़ेगी। महिलाओं के लिए ईवी सब्सिडी विशेष प्रोत्साहन देगी। हालांकि, चुनौतियां जैसे चिप की कमी और वैश्विक मंदी बनी हुई हैं।
भविष्य की योजनाएं: नंबर वन बनने का रोडमैप
गडकरी ने पांच वर्षीय योजना का खुलासा किया: 2030 तक 5 करोड़ वार्षिक उत्पादन, 50% ईवी शेयर। PLI स्कीम से ₹25,000 करोड़ निवेश, और Gati Shakti से लॉजिस्टिक्स सुधार। निर्यात लक्ष्य: $50 बिलियन। विशेषज्ञों का अनुमान: 2028 तक भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार बनेगा।
निष्कर्ष: स्वावलंबी वाहन बाजार की ओर
25 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय वाहन बाजार में यह बड़ा कदम भारत की प्रगति का प्रतीक है। जापान को पछाड़कर तीसरा स्थान हासिल करना ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता दर्शाता है। अगला लक्ष्य नंबर वन – ईवी और इंफ्रास्ट्रक्चर से संभव। उपभोक्ताओं से अपील: स्वदेशी वाहन चुनें और विकास में योगदान दें। भारत का ऑटोमोबाइल सफर अब वैश्विक पटल पर चमकेगा।
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