लग्ज़री वाहनों पर भारी टैक्स: 40% तक बढ़ा GST,ऑटोमोबाइल सेक्टर पर प्रभाव

लग्ज़री वाहनों पर भारी टैक्स: 4 सितंबर 2025 को जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक टैक्स सुधार की घोषणा की, जिसमें लग्ज़री वाहनों पर 40% का विशेष जीएसटी स्लैब लागू किया गया। इस फैसले ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में हलचल मचा दी है, क्योंकि छोटी कारों और टू-व्हीलर्स पर टैक्स में कटौती के साथ-साथ प्रीमियम और हाई-एंड वाहनों पर टैक्स में भारी वृद्धि की गई है।

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जीएसटी 2.0: नया टैक्स ढांचा -लग्ज़री वाहनों पर भारी टैक्स:

जीएसटी परिषद ने 3 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में हुई बैठक में मौजूदा 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब्स को घटाकर केवल दो मुख्य स्लैब्स—5% और 18%—करने का निर्णय लिया। इसके अतिरिक्त, लग्ज़री वाहनों, तंबाकू उत्पादों, और अन्य ‘सिन गुड्स’ के लिए एक नया 40% का विशेष स्लैब पेश किया गया। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025 से लागू होगी।

लग्ज़री वाहनों की परिभाषा

नई नीति के तहत, निम्नलिखित वाहनों को लग्ज़री श्रेणी में रखा गया है:

  • पेट्रोल वाहन: 1200 सीसी से अधिक इंजन क्षमता और 4 मीटर से अधिक लंबाई।
  • डीजल वाहन: 1500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता और 4 मीटर से अधिक लंबाई।
  • मोटरसाइकिलें: 350 सीसी से अधिक इंजन क्षमता।
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV): 40 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले।

इसके परिणामस्वरूप, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, ऑडी, टेस्ला, और रॉयल एनफील्ड जैसे ब्रांड्स के प्रीमियम मॉडल्स पर अब 40% जीएसटी लागू होगा। पहले इन वाहनों पर 28% जीएसटी के साथ 1% से 22% तक का अतिरिक्त सेस लगता था, जिससे कुल टैक्स 48-50% तक पहुंच जाता था। हालांकि, नया 40% स्लैब सरल होने के बावजूद इन वाहनों को और महंगा करेगा।

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर प्रभाव

1. लग्ज़री वाहनों की कीमतों में वृद्धि

लग्ज़री वाहनों पर 40% जीएसटी लागू होने से उनकी कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए:

  • मर्सिडीज-बेंज GLC: पहले 28% जीएसटी + 15% सेस के साथ इसकी कीमत लगभग ₹75 लाख थी। अब 40% जीएसटी के साथ इसकी कीमत ₹80 लाख तक हो सकती है।
  • टेस्ला मॉडल Y: 40 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर 40% जीएसटी से टेस्ला की भारत में बिक्री प्रभावित होगी, जो पहले से ही सीमित (350-500 यूनिट्स सालाना) है।

मर्सिडीज-बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक संतोष अय्यर ने कहा, “यह जीएसटी संशोधन प्रगतिशील है, लेकिन लग्ज़री सेगमेंट पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। फिर भी, यह उपभोक्ता मांग को बढ़ाने में मदद करेगा।”

2. छोटी कारों और टू-व्हीलर्स को राहत

इसके विपरीत, छोटी कारों (1200 सीसी तक पेट्रोल, 1500 सीसी तक डीजल, और 4 मीटर से कम लंबाई) और 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। इससे मारुति सुजुकी स्विफ्ट, हुंडई ग्रैंड i10, हीरो स्प्लेंडर, और होंडा शाइन जैसे वाहन सस्ते होंगे। ऑटो पार्ट्स पर भी एक समान 18% जीएसटी लागू होगा, जिससे रखरखाव लागत कम होगी।

3. ऑटो स्टॉक्स में मिश्रित प्रतिक्रिया

4 सितंबर 2025 को ऑटो स्टॉक्स में 8% तक की उछाल देखी गई, विशेष रूप से मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, और हीरो मोटोकॉर्प जैसे शेयरों में। हालांकि, लग्ज़री वाहन निर्माताओं जैसे टाटा मोटर्स (जगुआर लैंड रोवर) और आयशर मोटर्स (रॉयल एनफील्ड) पर इस टैक्स वृद्धि का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव

1. मध्यम वर्ग को राहत

छोटी कारों और टू-व्हीलर्स पर टैक्स में कटौती मध्यम वर्ग और पहली बार वाहन खरीदने वालों के लिए राहत लेकर आई है। उदाहरण के लिए, मारुति सुजुकी वैगन आर की कीमत में ₹50,000 तक की कमी आ सकती है। इससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मांग बढ़ने की उम्मीद है।

2. लग्ज़री खरीदारों पर बोझ

लग्ज़री कार खरीदने की योजना बना रहे उपभोक्ताओं को अब अधिक कीमत चुकानी होगी। विशेष रूप से, 40 लाख रुपये से अधिक की इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 40% जीएसटी ने टेस्ला और बीवाईडी जैसी कंपनियों के लिए चुनौतियाँ बढ़ा दी हैं।

3. सेकेंड-हैंड मार्केट पर प्रभाव

बढ़ती महंगाई और लग्ज़री वाहनों की उच्च कीमतों के बीच, सेकेंड-हैंड कारों की मांग बढ़ सकती है। यह विशेष रूप से उन उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक होगा जो प्रीमियम मॉडल्स को किफायती कीमत पर खरीदना चाहते हैं।

ऑटोमोबाइल कंपनियों की प्रतिक्रिया

  • मारुति सुजुकी: चेयरमैन आर.सी. भार्गव ने जीएसटी कटौती का स्वागत करते हुए कहा, “यह मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ा उपहार है और त्योहारी सीजन में बिक्री को बढ़ावा देगा।”
  • टाटा मोटर्स: कंपनी ने चिंता जताई कि प्रीमियम EV मॉडल्स पर 40% जीएसटी उनकी बिक्री को प्रभावित कर सकता है, लेकिन किफायती EV पर 5% जीएसटी को बनाए रखने का स्वागत किया।
  • रॉयल एनफील्ड: 350 सीसी से अधिक की बाइक्स जैसे हिमालयन 450 और इंटरसेप्टर 650 अब महंगी होंगी, जिससे फेस्टिव सीजन में बिक्री प्रभावित हो सकती है।

भविष्य की संभावनाएँ

नई जीएसटी नीति का ऑटोमोबाइल सेक्टर पर मिश्रित प्रभाव पड़ेगा। छोटी कारों और टू-व्हीलर्स की बिक्री में वृद्धि से ऑटो सेक्टर को गति मिलेगी, विशेष रूप से त्योहारी सीजन में। जेफरीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-28 के दौरान टू-व्हीलर बिक्री में 10% और पैसेंजर वाहनों में 8% की वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है।

हालांकि, लग्ज़री वाहन निर्माताओं को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। कुछ कंपनियाँ कीमतों को अवशोषित करने या स्थानीय विनिर्माण बढ़ाने की कोशिश कर सकती हैं ताकि लागत कम हो। इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% जीएसटी की निरंतरता टाटा मोटर्स और ह्युंडई जैसे निर्माताओं के लिए सकारात्मक है, जो किफायती EV मॉडल्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

निवेशकों के लिए सुझाव

  1. किफायती वाहन निर्माताओं पर ध्यान: मारुति सुजुकी, हीरो मोटोकॉर्प, और टीवीएस मोटर जैसे स्टॉक्स में निवेश आकर्षक हो सकता है, क्योंकि जीएसटी कटौती से उनकी बिक्री बढ़ेगी।
  2. लग्ज़री सेगमेंट में सतर्कता: टाटा मोटर्स (जगुआर लैंड रोवर) और आयशर मोटर्स जैसे स्टॉक्स पर टैक्स वृद्धि का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  3. EV सेगमेंट में अवसर: किफायती EV पर कम टैक्स के कारण टाटा मोटर्स और ह्युंडई लंबी अवधि के लिए अच्छे निवेश विकल्प हो सकते हैं।

निष्कर्ष

लग्ज़री वाहनों पर 40% जीएसटी लागू करने का निर्णय ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक बड़े बदलाव का संकेत है। जहाँ छोटी कारों और टू-व्हीलर्स पर टैक्स कटौती मध्यम वर्ग के लिए राहत लेकर आई है, वहीं लग्ज़री वाहनों की कीमतों में वृद्धि प्रीमियम खरीदारों के लिए चुनौती होगी। यह नीति न केवल उपभोक्ता व्यवहार को प्रभावित करेगी, बल्कि ऑटोमोबाइल कंपनियों की रणनीतियों और शेयर बाजार के रुझानों को भी नया आकार देगी। जैसे-जैसे 22 सितंबर 2025 को नई दरें लागू होंगी, ऑटो सेक्टर में नए अवसर और चुनौतियाँ सामने आएंगी।

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