मोदी-शी जिनपिंग : 2025 में भारतीय शेयर बाजार एक बार फिर वैश्विक और घरेलू घटनाओं के केंद्र में है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात, साथ ही जीएसटी परिषद द्वारा लागू की गई व्यापक कर कटौती ने निवेशकों में नई उम्मीदें जगाई हैं। ये दोनों घटनाएँ भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मोदी-शी जिनपिंग मुलाकात: भारत-चीन संबंधों में नया मोड़
मुलाकात का अवलोकन
31 अगस्त 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात वर्षों में पहली बार चीन का दौरा किया और तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस मुलाकात को वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है, खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के निर्यात पर 50% तक टैरिफ लागू किए हैं। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों को “प्रतिद्वंद्वी के बजाय भागीदार” के रूप में मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। प्रमुख परिणामों में शामिल हैं:
- सीमा तनाव को कम करना: दोनों देशों ने 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए “निष्पक्ष” समाधान की दिशा में काम करने का वादा किया।
- व्यापार और निवेश: दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने पर सहमति जताई, जिसमें प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली और वीजा प्रक्रिया को सरल बनाना शामिल है।
- स्वच्छ ऊर्जा और विनिर्माण: भारत को चीन की स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला और विनिर्माण विशेषज्ञता से लाभ उठाने की संभावना है।
इस मुलाकात का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ के ठीक पांच दिन बाद हुई। विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात भारत-चीन-रूस के बीच एक रणनीतिक गठजोड़ को दर्शाती है, जो वैश्विक व्यापार में पश्चिमी दबाव का मुकाबला करने की दिशा में एक कदम है।
शेयर बाजार पर प्रभाव
मोदी-शी मुलाकात ने भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक धारणा को बढ़ाया है। 1 सितंबर 2025 को, सेंसेक्स और निफ्टी ने क्रमशः 0.7% और 0.8% की बढ़त दर्ज की, जो मजबूत Q1 जीडीपी डेटा, जीएसटी सुधारों की उम्मीद, और भारत-चीन संबंधों में सुधार से प्रेरित थी। विशेष रूप से, निम्नलिखित सेक्टर्स में निवेशकों की रुचि बढ़ी:
- शिपिंग और लॉजिस्टिक्स: भारत-चीन व्यापार में वृद्धि से यूरेशियन व्यापार मार्गों को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे शिपिंग कंपनियों को लाभ होगा।
- विमानन और पर्यटन: प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली से इंडिगो और स्पाइसजेट जैसे विमानन शेयरों में 2-3% की तेजी देखी गई।
- स्वच्छ ऊर्जा: टाटा पावर और अदानी ग्रीन जैसे शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी, क्योंकि भारत को चीन की स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला से लाभ मिल सकता है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मुलाकात के परिणामों में ठोस नीतियों का अभाव है, जिसके कारण सकारात्मक धारणा अस्थायी हो सकती है। फिर भी, भारत-चीन व्यापार असंतुलन (FY25 में भारत का निर्यात $14.2 बिलियन बनाम आयात $113.5 बिलियन) को कम करने की संभावना ने निवेशकों में दीर्घकालिक आशावाद पैदा किया है।
जीएसटी कटौती: उपभोक्ता मांग को बढ़ावा
जीएसटी सुधारों का अवलोकन
जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में, चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) को सरल कर दो स्लैब (5% और 18%) करने का निर्णय लिया गया, साथ ही विलासिता और हानिकारक वस्तुओं (सिन गुड्स) के लिए 40% का नया स्लैब पेश किया गया। ये बदलाव 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गए हैं। प्रमुख कटौतियाँ शामिल हैं:
- स्वास्थ्य और जीवन बीमा: व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी को 18% से हटाकर शून्य कर दिया गया।
- FMCG उत्पाद: पनीर पर जीएसटी 5% से शून्य, घी और मक्खन पर 12% से 5%, और आइसक्रीम पर 18% से 5% कर दिया गया।
- निर्माण सामग्री: सीमेंट पर जीएसटी 28% से 18%, और अन्य निर्माण सामग्री पर 12% से 5% कम किया गया।
- ऑटोमोबाइल: छोटी कारों (पेट्रोल <1200cc, डीजल <1500cc) पर जीएसटी 28% से 18% किया गया।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, इन सुधारों का शुद्ध राजकोषीय प्रभाव ₹48,000 करोड़ होगा, लेकिन बढ़ी हुई खपत और बेहतर अनुपालन से राजस्व में सुधार की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि उद्योग इन लाभों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाएंगे, और सांसद स्थानीय स्तर पर इसकी निगरानी करेंगे।
शेयर बाजार पर प्रभाव
जीएसटी कटौती ने उपभोक्ता मांग को बढ़ाने की उम्मीद के साथ शेयर बाजार में तेजी लाई है। 4 सितंबर 2025 को, सेंसेक्स 600 अंक उछलकर 81,000 के पार खुला, और निफ्टी 24,900 के स्तर को पार कर गया। प्रमुख लाभार्थी सेक्टर्स में शामिल हैं:
- FMCG: ITC, HUL, और नेस्ले इंडिया जैसे शेयरों में 2-3% की वृद्धि देखी गई, क्योंकि कम कर दरों से उपभोक्ता खर्च बढ़ने की उम्मीद है।
- ऑटो: मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों में 5-7% की तेजी दर्ज की गई, क्योंकि छोटी कारों पर जीएसटी कटौती से बिक्री बढ़ने की संभावना है।
- इंश्योरेंस: HDFC लाइफ, ICICI प्रूडेंशियल, और स्टार हेल्थ जैसे शेयरों में 4-9% की वृद्धि देखी गई, क्योंकि बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी छूट से मांग बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि ये कटौतियाँ मध्यम वर्ग के लिए ₹45,000 की वार्षिक बचत और ₹1.25 लाख की कुल बचत (आयकर छूट के साथ) ला सकती हैं, जिससे पूंजी बाजार में निवेश बढ़ सकता है।
बाजार की चुनौतियाँ और जोखिम
हालांकि ये घटनाएँ सकारात्मक हैं, कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
- अमेरिकी टैरिफ: भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ बाजार की तेजी को सीमित कर सकते हैं। विशेष रूप से कपड़ा, चमड़ा, और रत्न-आभूषण जैसे सेक्टर्स प्रभावित हो सकते हैं।
- FII बिकवाली: 2025 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने ₹16,000 करोड़ के शेयर बेचे हैं, जिसने बाजार की गति को प्रभावित किया है।
- प्रोफिट बुकिंग: जीएसटी कटौती की घोषणा के बाद कुछ निवेशकों ने मुनाफावसूली की, जिससे बाजार में अस्थायी सुस्ती देखी गई।
निवेशकों के लिए रणनीति
विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशक निम्नलिखित रणनीतियों पर ध्यान दें:
- सेक्टर-विशिष्ट निवेश: FMCG, ऑटो, और इंश्योरेंस सेक्टर्स में दीर्घकालिक निवेश पर विचार करें, क्योंकि ये जीएसटी कटौती से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।
- वैश्विक संकेतों पर नजर: भारत-चीन व्यापार समझौतों और अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर अपडेट्स की निगरानी करें।
- तकनीकी स्तर: निफ्टी के लिए 24,500 एक महत्वपूर्ण समर्थन स्तर है, जबकि 25,000 को तोड़ने से तेजी की पुष्टि होगी। सेंसेक्स के लिए 81,000-82,000 का स्तर महत्वपूर्ण है।
प्रणय अग्रवाल, स्टॉक्सकार्ट के निदेशक और सीईओ, ने कहा, “मोदी-शी मुलाकात और जीएसटी कटौती ने बाजार में एक मजबूत आधार बनाया है। निवेशकों को उपभोक्ता-केंद्रित सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।”
निष्कर्ष
मोदी-शी जिनपिंग मुलाकात और जीएसटी कटौती ने भारतीय शेयर बाजार में नई उम्मीदें जगाई हैं। भारत-चीन संबंधों में सुधार से व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं, जबकि जीएसटी कटौती उपभोक्ता मांग को बढ़ाकर आर्थिक विकास को गति देगी। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ और FII बिकवाली जैसे जोखिमों पर नजर रखना जरूरी है। निवेशकों को सतर्क रहते हुए FMCG, ऑटो, और इंश्योरेंस जैसे सेक्टर्स में अवसर तलाशने चाहिए। यह लेख नवीनतम जानकारी और विशेषज्ञ विश्लेषण पर आधारित है, जो निवेशकों को सूचित निर्णय लेने में मदद करेगा।
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