एयर इंडिया क्रैश: अमेरिकी मीडिया ने सुनी पायलट्स की आखिरी बातचीत, चौंकाने वाले खुलासे

आज की सबसे बड़ी ख़बरों में से एक: अमेरिका के मीडिया ने एयर इंडिया क्रैश की ब्लैक बॉक्स रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया है, जिसमें पायलटों की आख़िरी बातचीत रिकॉर्ड में दर्ज है। इसे लेकर भारत में फिर विवाद पैदा हो गया है। यहाँ मैं आपको इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी दे रहा हूँ:

अमेरिकी मीडिया, खासकर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट किया कि अहमदाबाद हवाईअड्डे से उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद, कैप्टन सुमीत सभरवाल द्वारा दोनों इंजन के फ्यूल स्विच बंद किए गए थे। इस दौरान फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंडर ने उठाकर पूछा कि ‘वह स्विच क्यों कट‑ऑफ किए गए?’ लेकिन कैप्टन शांत और अचंभित दिखाई दिए। इस जानकारी को अमेरिका में शुरुआती जांचों पर आधारित बताया गया है । source from Times Now

रायटर्स की रिपोर्ट में भी कहा गया कि रिकॉर्डिंग में स्पष्ट सुनाई देता है — फर्स्ट ऑफिसर ने पूछा कि स्विच क्यों कट‑ऑफ किए गए, और पायलट ने वापस कट‑ऑफ कहा था । वह घटना केवल 32 सेकंड में घटित हुई, जिसमें एफएए और एनटीएसबी भी शामिल हो सकते हैं जबकि भारत की AAIB जांच जारी है ।

लेकिन भारतीय पक्ष में AAIB और पायलट संघ ने इस रिपोर्टिंग को “अति‑शुरुआती” और “असत्य” बताया है। AAIB ने कहा कि यह “सेलेक्टिव और अनवेरिफाइड रिपोर्टिंग” है जो परिवारों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है। साथ ही, भारतीय पायलट संघ ने WSJ की रिपोर्ट को “बिना आधार” और “अविचारित” बताया The Times of India

सरकार और DGCA ने भी कहा कि जांच अभी जारी है और किसी निष्कर्ष पर तुरंत नहीं पहुँचना चाहिए। इसी बीच एयर इंडिया ने अपने सारे बोइंग 787‑8 विमानों के फ्यूल स्विच लॉकिंग मैकेनिज्म की पूरी जांच करवाई, लेकिन कोई दोष नहीं मिला AP News

गंभीरता से देखें तो, ब्लैक बॉक्स और रिकॉर्डिंग ने एक विवादास्पद परिदृश्य उत्पन्न किया है: एक अनुभवी कैप्टन द्वारा अचानक दो इंजन के फ्यूल स्विच को बंद करना, जबकि इस गड़बड़ी की वजह तकनीकी भी हो सकती है। AAIB अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि स्विच मानवीय त्रुटि, तकनीकी गड़बड़ी या कोई अन्य कारण से बंद हुए।

कुल मिला कर यह मामला अभी भी गुत्थी बना हुआ है। प्रक्रिया में FAA, NTSB, DGCA और AAIB सभी सक्रिय हैं, और विस्तृत फोरेंसिक जाँच के बाद ही असली कारण सामने आएगा।

इस समय मीडिया रिपोर्ट्स पर जल्दबाज़ी में विश्वास करना ठीक नहीं। जब तक AAIB की फाइनल रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इंतज़ार करें। किसी भी प्रकार का निष्कर्ष निकालने से पहले पूरे साक्ष्य और विशेषज्ञों की जांच ज़रूरी है।

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